आरक्षण’, भारत के सामाजिक और राजनीतिक कोष का एक ऐसा शब्द जिसे पारिभाषित करना और इसकी प्रासंगिकता को प्रमाणित करना दुनिया के सर्वत्र दुष्कर कार्यों में से एक है। किसी वृद्ध अथवा गर्भवती महिला के लिए बस या ट्रेन में सीट आरक्षित करना निःसंदेह एक प्रशंसनीय कार्य है लेकिन आरक्षण उस वृद्ध अथवा गर्भवती महिला को आरक्षित सीट को उखाड़कर अपने घर ले जाने की इज़ाज़त नहीं देता; लेकिन भारतवर्ष में आज ऐसा ही हो रहा है।
यह एक सर्वविदित तथ्य है कि आरक्षण ने पिछड़े तबके को संबल प्रदान किया है और सामाजिक उत्थान के लिए वास्तव में एक अपरिहार्य विषय था जिसे आरक्षण के ज़रिये अंजाम तक पहुँचाया। किसी को आरक्षण से ऐतराज़ नहीं होना चाहिए लेकिन जब यही आरक्षण आज योग्यता को ठेंगा दिखाता है तो न केवल तकलीफ होती है बल्कि साँसों में उबाल आता है और मन-मस्तिष्क इस आरक्षण-व्यवस्था और कार्य-प्रणाली पर चिंतन करने को विवश होता है।
हमारे Reservation System की जितनी निन्दा की जाएँ मुझे लगता है वो कम है. ये हमारे समाज और देश को अंदर से खोखला कर रहा है और पता नहीं कितनो के भविस्य के साथ खेल रहा है. दिल करता है सारे किताबो को जला दूँ और भारत छोड़ के किसी और देश चला जाऊं कम से कम एक अच्छी नौकरी तो मिल जाएगी- ऐसा कहा है अंकित श्रीवास्तव ने जो IAS 2015 में सबसे अच्छे अंक लाने के बावजूद अपने सपनो को पूरा नहीं कर पाया। वही पे टीना डाबी जिसने अंकित से काम अंक लाएं थे फिर भी वो CS (Main) के लिए चुनी गयी थी क्यूंकि वो Reserved Category में आती हैं.
क्यों हम इस अभिसाप को झेल रहे है और कब हमारा ईमान इस चीज़ का विरोध करने में सक्शम हो पाएगा? क्यों नहीं हम एक जूट हो रहे हैं इस सिस्टम के खिलाफ और क्यों नहीं सरकार को मजबूर कर रहे है की वो इसमें संसोधन करे. आखिर कब तक इस सिस्टम के कारण हम अपने छमताओं और सपनो की बलि देते रहे और दे भी क्यों जब हम भी इस देश के नागरिक हैं.
अंकित श्रीवास्तव ने अपनी जंग छेडी है इस Reservation System के खिलाफ ताकि लाखो अभ्यर्तियो को अपने सपनो की बलि नहीं देने पड़े. अब वो समय आ गया है की हम एकजुट होके इस सिस्टम के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करे और सरकार तक अपनी असली आवाज को पंहुचा सकें.
टीना डाबी और अंकित श्रीवास्तव के स्कोर कार्ड (Tina Dabi and Ankit Shrivastava Score Card)
भारत में घोड़ो के पैरों में जंजीर बांध कर गधो को आगे लाकर जीताया जाता है हमें बहुत दुःख होता है इस जातिगत आरक्षण पर 90%का होनहार छात्र फेल होता है 40% से आरक्षण में आईपीएस बनता है90% वाला हार कर घिनोने काम में फरारी काटे तो उसे वो40% वाला कैसे पकड़ सकता है ह ही हाल डॉक्टर इंजीनियर व वैज्ञानिक में है फिर हमारे होनहार छात्र जाकर अमेरिका में नोकरी या खोज करते हैं तो अमेरिका का नाम रोशन करते हैं छात्र भारत के नाम अमेरिका का ये हे हमारा भारत महान
Jis din jativad khatma ho jayega. Samjo us din se arakshan khatma ho jayega. Kisi ko Tum bejhijhak chamar bol dete ho. Jante ho uske dimag pr Kya asar hota he
bhai jis din genral waale jaag gaye na
us din inki 12 baj jaayegi
or jitne bhi neta Rक्षण Ko saport karte hai
unki bhi kursiya jaayegi
likh ke lelo
Mai student hu jinhe aarakchhan sahi lagata h I request you please sajhyen mere anusar anaay h ye
Aarakchhan ka MATLAB yahan kisi ko uthane ke liye kisi ko dhakka dekar girana h jo kavi sahi nahi ho sakta.
Comment: bhai mere kab is aarakshan ke muhim se larne ke lye tayar ho
” mai tayar hu or aap”
Ham v taiyar h
jatiwad ke nam par apne ko uncha samajhne ko barabar karo. phir arakshan hatane ki mang karna. jatiwad aur varn vyavastha ke dunsh jo jhele hain ya jhelte unke bare me bhi shoch lo.
araksan nahi khatm hoga ……
dosto jo log aaraksan ke karan piche rah jate hai me unki takleef samjhta hu .kbhi aapne socha eska jimedar kon the uttar bedik kal se .kin logo ke karan esa huwa tha .aaj unki saja unki auolado ko milti h…aarasan hatane ki mag mat karo jatiwad ko khatm karne ki jrurat h jis din jatiwad mit jayega na aasaksan ki kisi ko jarurat ni par sakegi ….
India is a developing country…..all citizens are equally responsibility…not equally authority…..gandu system…very handy system……
Brothers…..I understanding your felling but this system is very poor…..I hope to p.m. modi….race of hourse and donkey……..Winer of donkey????
jis Din Aap Sabhi Ek ho Kr Isske KhiLAff LAdoge Ussi Din Aap IIs Se NijAat Paaa Sakte Hai